असीम आकाश
Wednesday, 6 August 2025
आँख सभी की नम है...
ज्यादा है या कम है।
घेरे सबको गम है।
तनिक गौर से देखो,
आँख सभी की नम है।
सुखी समझना पर को,
मन का महज वहम है।
झेल रहा दुख उतना,
जिसमें जितना दम है।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
"सजल संग्रह" से
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