Friday, 8 August 2025

धरती सिमटी रो रही...

धरती सिमटी रो रही,
अंबर भी बेचैन।
वक्त सिखाया और का,
लूट रहा सुख-चैन।

©सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

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