असीम आकाश
Tuesday, 8 July 2025
है इसी में जीत अपनी...
चाहता मन पी तमस सब,
बाँट दूँ घर-घर उजाले।
नीर है इतना दृगों में,
प्यास जग अपनी बुझा ले।
है इसी में जीत अपनी,
भूति वैभव हार जाना।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
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