खोज-खबर फिर ली नहीं, भूला उसका ध्यान।।
मैं तेरी संतान प्रभु, तुझसे निर्मित काय।
कैसे अब तुझसे मिलूँ, तू ही सुझा उपाय।।
क्या देखा जो कर दिया, जग से मेरा ब्याह ?
पग-पग लानत ठोकरें, कैसे करूँ निबाह ?
अपने तन से काढ़कर, भेज दिया परदेश।
देख कभी तो आ मुझे, पग-पग कितने क्लेश।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
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