Friday, 25 July 2025

जीवन भर जिसको गम ढोना...

जीवन-भर जिसको गम ढोना।
उसका होना भी    क्या होना।

करना हँसकर काम सभी पर,
लिखा  भाग्य में  केवल  रोना।

आँसू-चिंता-गम जग भर के,
यही ओढ़नी,   यही बिछोना।

मान नहीं जिसमें मुखिया का,
उस घर का होना क्या होना।

कंकड़ छिटके, गढ़े पाँव में,
झाड़ा जब यादों का कोना।

झाँको-देखो  छूकर भीतर,
अश्कों से तर है हर कोना।

किस्मत  मेरी  रचने  वाले,
बीज न ऐसा फिर तू बोना।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
"सजल संग्रह" से

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