कर्म खोटे क्या फलेंगे,
क्या मिलेगा इस विजय से ?
इस तरह जो लूट सबको,
भर रहे झोली अनय से।
छीन लो सुख-साज सारे,
क्या मुकद्दर छीन लोगे ?
भाग्य में जिसके लिखा जो,
मान-धन क्या बीन लोगे ?
देख पाओ सत-असत सब,
कर सको जग की भलाई।
मेट पाओ दर्द जग का,
पा गए जब वो उँचाई।
आसमां भी झुक रहा ज्यों,
नत रहो तुम भी विनय से।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
"गीत सौंधे जिंदगी के" से
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