Tuesday, 31 December 2024
मंगलमय नववर्ष...
Tuesday, 24 December 2024
टिके न झूठी शान...
Tuesday, 10 December 2024
शीत मगसर की...
शीत मगसर की...
जुल्म कितने ढा रही है,
शीत मगसर की।
घट रहा है मान दिन का,
घरजमाई सा।
रात बढ़ती जा रही है,
हो रही सुरसा।
बिम्ब कितने गढ़ रही है,
शीत मगसर की।
लिपट कुहरे में खड़ी है,
धूप अलसाई।
वात का लेकर तमंचा,
रात घर आई।
भाव कितने खा रही है,
शीत मगसर की।
चाँद भी सुस्ता रहा है,
ओढ़कर चादर।
झाँकता है बस कभी ही,
चोर सा छुपकर।
चीरती तन जा रही है,
शीत मगसर की।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
"भाव अरुणोदय" से
Friday, 6 December 2024
आज तुम्हें फिर देखा हमने...
आज तुम्हें फिर देखा हमने,
तड़के अपने ख्वाब में।
छुप कर बैठे हो तुम जैसे,
मन के कोमल भाव में।
किस घड़ी ये जुड़ गया नाता।
तुम बिन रहा नहीं अब जाता।
कब समझे समझाने से मन,
हर पल ध्यान तुम्हारा आता।
जहाँ भी जाएँ, पाएँ तुम्हें,
निज पलकन की छाँव में।
क्यों तुम इतने अच्छे लगते।
मन के कितने सच्चे लगते।
छल-कपट से दूर हो इतने,
भोले जितने बच्चे लगते।
मरहम बनकर लग जाते हो,
जग से पाए घाव में।
तुम पर कोई आँच न आए।
बुरी नजर से प्रभु बचाए।
स्वस्थ रहो खुशहाल रहो तुम,
दामन सुख से भर-भर जाए।
साजे पग-पग कमल-बैठकी,
चुभे न काँटा पाँव में।
नजर चाँद से जब तुम आते।
मन बिच कैरव खिल-खिल जाते।
भान वक्त का जरा न रहता,
बातों में यूँ घुल-मिल जाते।
यूँ ही आते-जाते रहना,
मेरे मन के गाँव में।
आज तुम्हें फिर देखा हमने...
Saturday, 30 November 2024
मोहे छटा अनूप...
Monday, 25 November 2024
आज जो पीछे हटी तो...
थोथी नींव पर छल छद्म की...
Saturday, 23 November 2024
वर बढ़े जो पथ विनय का...
वर बढ़े जो पथ विनय का...
वर बढ़े जो पथ विनय का,
उस सरल इंसान की जय।
वक्त की परिमल सँजोए,
उस विरल इंसान की जय।
दो दिलों को नाथकर जो,
प्रेम-सुर में ढालता है।
ढाल बन जो सत्य की नित,
खाक खल पर डालता है।
जो तड़पता और के हित,
उस विकल इंसान की जय।
बल बने जो निर्बलों का,
घाव पर मरहम लगाए।
दे निकाला आँसुओं को,
हास के मंडप सजाए।
जो लुटा दे प्राण परहित,
उस सबल इंसान की जय।
पय पिलाए जो तृषित को।
पुष्प कर्दम में खिलाए।
बन सहारा गैर का जो,
आस हर मरती जिलाए।
हर दिखावे से परे जो,
उस असल इंसान की जय।
शीश पर आशीष प्रभु का,
ले बढ़े जो साथ सबका।
प्रेम-बल से जीत कर दिल,
दे झुका जो माथ सबका।
हर हुनर-गुण पास जिसके,
उस कुशल इंसान की जय।
बुद्धि-कौशल से सदा जो,
काम हर आसान करता।
हारते हर आर्त जन के,
हौसलों में जान भरता।
ला रहा नित नव्यता जो,
उस नवल इंसान की जय।
वर बढ़े जो पथ विनय का,
उस सरल इंसान की जय।
© डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ. प्र. )
साझा संग्रह 'साहित्य सुमन' से
Tuesday, 19 November 2024
जीना है तो सीख ले...
जीना है तो सीख ले, दुनिया की हर रीत।
दुनिया की रौ में चले, मिले उसे ही जीत।।१।।
जीना है तो सीख ले, सुख-दुख में गठजोड़।
जीवन की हर दौड़ में, आते कितने मोड़।।२।।
जीना है तो सीख ले, जीवन की हर तोल।
किससे लेना सूद है, किसे चुकाना मोल।।३।।
जीना है तो सीख ले, जग का सा व्यवहार।
हाँ में सबकी हाँ करे, उसका बेड़ा पार।।४।।
जीना है तो सीख ले, ढोना अपना भार।
पर पर जो निर्भर रहे, उस नर को धिक्कार।।५।।
जीना है तो सीख ले, करना सबसे प्यार।
प्यार करे दुनिया सधे, वरना मारामार।।६।।
जीना है तो सीख ले, गुनना तीनों काल।
आयी मुश्किल सामने, भाँप सके तत्काल।।७।।
जीना है तो सीख ले, चखना सारे स्वाद।
कब जीवन का अंत हो, क्या हो उसके बाद।।८।।
जीना है तो सीख ले, रखना जग से मेल।
किस्मत की हर मार को, खेल समझकर झेल।।९।।
जीना है तो सीख ले, आड़ी-सीधी चाल।
कब जीवन में क्या मिले, क्या हो आगे हाल।।१०।।
जीना है तो सीख ले, करना सबका मान।
जो औरों को मान दे, पाता है सम्मान।।११।।
जीना है तो सीख ले, करना झटपट काम।
सही समय हर काम कर, फिर डटकर आराम।।१२।।
जीना है तो सीख ले, लड़नी जीवन-जंग।
अपनी पारी खेलकर, देख जगत के रंग।।१३।।
जीना है तो सीख ले, रहना हद में यार।
हदें लाँघकर जो बढ़े, निश्चित उसकी हार।।१४।।
जीना है तो सीख ले, रखना सही हिसाब।
अंत समय में कर्म की, जाती संग किताब।।१५।।
© डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
Saturday, 16 November 2024
हक मुनासिब माँगती हूँ...
खोल भी दो अब अधर द्वय....
Friday, 15 November 2024
देव दीपावली की समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं
छिटकी नभ में चाँदनी, कातिक पूनम रात।
काशी के गलियार में, झिलमिल दीपक-पाँत।।०१।।
देव दिवाली आज है, कातिक पूनम रात।
करते भू पर देवता, अमरित की बरसात।।०२।।
देता सुर को त्रास था, करता पाप अनंत।
त्रिपुरारि कहलाए शिव, किया दुष्ट का अंत।।०३।।
भव्य कलेवर में दिपे, काशी नगरी आज।
देव मुदित आशीष दें,गदगद संत समाज।।०४।।
त्रिपुरासुर का अंत कर, दिया इंद्र को राज।
आज मुदित मन झूमता, सारा देव समाज।।०५।।
पावन गंगा नीर में, कर कातिक स्नान।
देव दिवाली देवता, करें दीप का दान।।०६।।
छाई है अद्भुत छटा, दमक रहे सब घाट।
देव दरस की लालसा, जोहें रह-रह बाट।।०७।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
फोटो गूगल से साभार
Saturday, 9 November 2024
दिल में दीप जलाने वाले...
दिल में दीप जलाने वाले...
दिल में दीप जलाने वाले,
मीत कहाँ ? अब आ भी जाओ।
बहुत अँधेरा है जीवन में,
भटक रही हूँ, राह दिखाओ।
तुम बिन सूनी दिल की नगरी।
रीत रही है यौवन-गगरी।
दिन-दिन शिथिल हो रही काया,
कहते कहने वाले 'ठठरी'।
मृत में प्राण फूँकने वाले,
मरती इच्छा आन जिलाओ।
जिया नहीं जाता अब तुम बिन।
भार लगे तन पल-पल छिन-छिन।
चकरी सी डोलूँ बस इत-उत,
वक्त कटे कैसे दिन गिन-गिन ?
मन-नभ तक घिर आयी बदली,
बन बिजुरी पिय कौंध दिखाओ।
फेर लिया तुमने मुख अपना।
लिखा भाग्य में बस दुख जपना।
रमे विदेसहिं छोड़ मुझे प्रिय,
टूट गया मेरा हर सपना।
तम में धूप खिलाने वाले,
आस-किरन बनकर आ जाओ।
दिल में दीप जलाने वाले,
मीत कहाँ ? अब आ भी जाओ।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
Saturday, 19 October 2024
करवाचौथ...
Thursday, 17 October 2024
किंजल्किनीः माल कमल अम्लान...
फोटो गूगल से साभार
Wednesday, 16 October 2024
आज रात कोजागरी...
Saturday, 12 October 2024
पुतला हरा विकार का....
Friday, 11 October 2024
नौ दिन ये नवरात्र के...
Thursday, 10 October 2024
तुम जलधर मैं मीन...
Wednesday, 9 October 2024
हँस जरा जो बोल दे तू...
काला है माँ का बदन....
फोटो गूगल से साभार
Sunday, 6 October 2024
नमस्तस्यै नमस्तस्यै...
फोटो गूगल से साभार
Saturday, 5 October 2024
या देवी सर्वभूतेषु कूष्मांडा रूपेण संस्थिता....
Friday, 4 October 2024
अद्भुत माँ की शक्तियाँ...
Tuesday, 10 September 2024
आज राधा अष्टमी पर श्री कृष्ण बल्लभा श्रीराधे जू को समर्पित मेरे द्वारा रचित कुछ दोहे...
Thursday, 5 September 2024
रास्ता तुमने दिखाया...
जब थका तन हारता मन,
हौसला तब-तब बढ़ाया।
लक्ष्य पर नित बढ़ रही मैं,
रास्ता तुमने दिखाया।
बेबसी के उस प्रहर में,
ढा रहा था जग कहर जब।
सुर सधी आवाज भी ये,
हो रही थी बेअसर जब।
हर तरफ वीरानगी थी,
घिर रही थी दुख-भँवर में,
तब बढ़ाकर हाथ अपना,
पार तुमने ही लगाया।
एक कोने में पड़ी थी,
थे सभी सुख-साज दुर्लभ।
पंख फैला कल्पना के,
छू रही हूँ आज मैं नभ।
जब जहाँ भी मैं रही हूँ,
तुम सदा मन में रहे हो।
मैं भ्रमित थी राह में जब,
बढ़ सुपथ तुमने सुझाया।
क्या गलत है क्या सही है,
कुछ नहीं मुझको पता था।
कौन था बस एक तू, जो-
हाल मेरा जानता था।
जो मिला तुमसे मिला है,
सच कहूँ ये आज खुलकर,
सब तुम्हारी ही बदौलत,
आज कुछ जो कर दिखाया।
लक्ष्य पर नित बढ़ रही मैं,
रास्ता तुमने दिखाया।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)'गत आगत अनागत' से
Tuesday, 3 September 2024
पशु-पक्षी बेघर हुए...( वन्य जीव संरक्षण दिवस पर )
Sunday, 1 September 2024
मानते हो राम को तो...
मानते हो राम को तो....
मानते हो राम को तो,
मानना होगा तुम्हें ये।
हर अहं से दूर थे वे,
जानना होगा तुम्हें ये।
राम का मंदिर बनाकर,
किस कदर मगरूर थे तुम।
स्वार्थ के ही थे निकटतर,
राम से तो दूर थे तुम।
राम रमते रोम में हैं,
जानना होगा तुम्हें ये।
राम अब सेवक हमारे,
जो कहेंगे वो करेंगे।
चूर मद में सोचते तुम,
अब विजय हम ही वरेंगे।
सोच थी कितनी अपावन,
मानना होगा तुम्हें ये।
दिग्भ्रमित रावण हुआ था,
शिव सहित कैलाश लाकर।
अब बनूँगा मैं त्रिलोकी,
शंभु को मस्का लगाकर।
दंभ ले डूबा वही बस,
जानना होगा तुम्हें ये।
राम का तब राज्य होगा,
गुण वरो जो राम से तुम।
दुष्ट कितना कुछ कहे पर,
मौन संयम साध लो तुम।
आचरण बोलें तुम्हारे,
ठानना होगा तुम्हें ये।
द्वेष सब मन से निकालो।
राममय निज को बना लो।
नीति के पथ पर चलो नित,
राजनीति' ये बना लो।
सार क्या संसार में है,
छानना होगा तुम्हें ये।
शक्ति उसके उर समाती,
सत्य के पथ पर चले जो।
लाभ क्या उस बाहुबल का,
निर्बलों को ही छले जो।
राम क्या थे राज्य के हित,
जानना होगा तुम्हें ये।
थी परीक्षा ये तुम्हारी,
भूल सब अपनी सुधारो।
प्रभु कृपा से पास हो,अब
डूबती नैया उबारो।
राम के आदर्श क्या थे,
जानना होगा तुम्हें ये।
मानते हो राम को तो,
मानना होगा तुम्हें ये।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
"दशरथ नंदन राम"से
05 जून, 2024
Saturday, 31 August 2024
१ सितंबर- राष्ट्रीय क्षमा दिवस...
जीवन तपमय बाज का...
करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
दृढ़शक्ति एकाग्र मना, लेता नभ को नाप।।
नजर घनी शक्ति प्रचंड, कहते उसको बाज।
करता उच्च उड़ान भर, आसमान पर राज।।
जीवन तपमय बाज का, वरता दृढ़ संकल्प।
निर्णय ले जोखिम भरा, करता कायाकल्प।।
देख चुनौती सामने, होता नहीं निराश।
सूझबूझ-संकल्प से, काटे दुख के पाश।।
एक समय जब अंग सब, देने लगें जवाब।
सूझ बड़ी अपनी दिखा, ले आता नव आब।।
चोंच पटक चट्टान पर, देता खुद को चोट।
नयी निकल आने तलक, काढ़े चुन-चुन खोट।।
त्याग-लगन-एकाग्रता, मान बाज से सीख।
पाँच माह भूखा रहे, मरे, न माँगे भीख।।
जीवन-शैली बाज की, देती यह संदेश।
जीवन जीयो शान से, फटक न पाएँ क्लेश।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
फोटो गूगल से साभार
Monday, 5 August 2024
चला आया घुमड़ सावन...
Sunday, 4 August 2024
माँगती मन्नत सदा माँ....
Monday, 22 July 2024
शिव सुंदर शिव सत्य
शिव सुखकर शिव शोकहर, शिव सुंदर शिव सत्य।
शिव से सोहें साज सब, शिव संसृति सातत्य।।
शिव-सेवा संलग्न सी, शिवमय शिवा शिवाय।
सुख-साधन सब शोक सम, शंकर सुभग सिवाय।।
आदिगुरू शिव को कहें, उपजा शिव से ज्ञान।
शिव से जीवन-जोत है, शिव से ही कल्यान।।
शिव बन शिव को पूजिए, रखिए मन-संतोष।
कृपा-मेघ बरसें सघन, भरे रिक्त मन-कोष।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
फोटोज गूगल से साभार
Thursday, 11 July 2024
हर खुशी पाकर रहूँगी...
Tuesday, 9 July 2024
कहमुकरियाँ हिन्दी महीनों पर...
Sunday, 7 July 2024
कुछ दोहे...
Tuesday, 25 June 2024
सखी फूटे करम मेरे....
Saturday, 22 June 2024
अद्भुत माँ का रूप...
अद्भुत माँ की शक्तियाँ, अद्भुत माँ का रूप।
दर्शन दो माँ भक्त को, धारे रूप अनूप।।१।।
वर दो माँ पद्मासने, टूटे हर जंजीर।
भव-बंधन से मुक्त कर, हर लो मन की पीर।।२।।
नौ दिन ये नवरात्र के, मातृ शक्ति के नाम।
मातृ भक्ति से हों सदा, सिद्ध सभी के काम।।३।।
पूजो माता के चरन, ध्या लो उन्नत भाल।
वरद हस्त माँ का उठे, हर ले दुख तत्काल।।४।।
रिपुओं से रक्षा करे, बने भक्त की ढाल।
बरसे जब माँ की कृपा, कर दे मालामाल।।५।।
कलुष वृत्ति मन की हरें, माता के नव रूप।
भक्ति-शक्ति के जानिए, मूर्तिमंत स्वरूप।।६।।
नारी का आदर करें, रख मन में सद्भाव।
कारक बने विकास का, नर-नारी समभाव।।७।।
जगत-जननी माँ अंबे, ले मेरी भी खैर।
मैं भी तेरा अंश हूँ, समझ न मुझको गैर।।८।।
मधुर-भाव चुन चाव से, सजा रही दरबार।
मेरे घर भी अंबिके, आना अबकी बार।।९।।
पलकों पे सपने लिए, लाँघे जब दहलीज।
बिटिया की माँ का हृदय, पल-पल उठे पसीज।।१०।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद