Thursday 1 July 2021

क्या क्षणिक इन आँधियों से....

रहे न अगर आस तो....

क्या क्षणिक इन आँधियों से,जिंदगी डर जाएगी
रहे न अगर  आस तो हाँ, प्यास  ही  मर जाएगी

तू बस अपना काम कर
फल चला खुद आएगा
तीरगी  को  चीर,  वहीं
रौशनी    रख   जाएगा
मन में  शीतल  शुद्ध  हवा,  ताजगी भर जाएगी
रहे न अगर  आस तो हाँ.....

वक्त ठहर गया तो क्या
समय न अपना तू गँवा
हौसलों  में   जान   रहे
पल में  होगा दुख  हवा
झोंका सुख का आएगा,  किस्मत सँवर जाएगी
रहे न अगर  आस तो हाँ.....

पहुँच न ले  गंतव्य  तक
न तब तलक तू साँस ले
मंजिल  निकट  आएगी
मिट   जाएँगे    फासले
छूकर  मन  की  भावना, मौत  भी  तर  जाएगी
रहे न अगर  आस तो हाँ......

जिंदगी का  सुर्ख सफ़ा
पल-पल नजरों  में  रहे
हार-जीत का फलसफ़ा
नित-नित  साँसों में बहे
ढील  जरा  भी  दी  अगर, चेतना  मर  जाएगी
रहे न अगर  आस तो हाँ, प्यास ही मर जाएगी
- © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
"मनके मेरे मन के" से

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