असीम आकाश
Monday 5 July 2021
कभी थे फूल से कोमल- एक मुक्तक
1222 1222 1222 1222
कभी थे फूल से कोमल, मगर अब शूल से लगते
हुए जो दिल कभी इक जां, नदी के कूल से लगते
तराने प्रेम के मेरे, मुझे ही आज छलते हैं
बसी थी हर खुशी जिनमें, वही अब भूल से लगते
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
"मनके मेरे मन के" से
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment