गिरते अश्कों की लय पर मैंने
गुनगुनाना सीख लिया है !
हिलमिल कर अब साथ गमों के
मुस्कुराना सीख लिया है !
बीत गए अब वो दिन मेरे
अरमां जब मचला करते थे !
जिद में चाँद को छूने की तब
कितना ये उछला करते थे !
समझा बुझा अब इनको मैंने
रस्ते पे लाना सीख लिया है !
बात-बात पर इन आँखों में
कितने आँसू भर आते थे !
बह न जाएँ बाढ़ में इनकी
देखने वाले डर जाते थे !
जन्म लेने से पहले ही इन्हें अब
दिल में दफनाना सीख लिया है !
बड़ी से बड़ी मुश्किल को मैंने
गले लगाना सीख लिया है !
हिलमिल कर अब साथ गमों के
मुस्कुराना सीख लिया है !
-सीमा अग्रवाल
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