Thursday 8 January 2015

गिरते अश्कों की लय पर मैंने---

गिरते अश्कों की लय पर मैंने
गुनगुनाना सीख लिया है !
हिलमिल कर अब साथ गमों के
मुस्कुराना सीख लिया है !

बीत गए अब वो दिन मेरे
अरमां जब मचला करते थे !
जिद में चाँद को छूने की तब
कितना ये उछला करते थे !
       समझा बुझा अब इनको मैंने
       रस्ते पे लाना सीख लिया है !

बात-बात पर इन आँखों में
कितने आँसू भर आते थे !
बह न जाएँ बाढ़ में इनकी
देखने वाले डर जाते थे !
       जन्म लेने से पहले ही इन्हें अब
       दिल में दफनाना सीख लिया है !

बड़ी से बड़ी मुश्किल को मैंने
गले लगाना सीख लिया है !
हिलमिल कर अब साथ गमों के
मुस्कुराना सीख लिया है !

-सीमा अग्रवाल

No comments:

Post a Comment