Monday 12 January 2015

होंठ सी लिए अश्क पी लिए

होंठ सी लिए !
अश्क पी लिए !
जमाने के लिए हम
ऐसे भी जी लिए !

दूर चले आए
दर से तुम्हारे
गठरी एक
गम की लिए !

तूफानों से तनहा
जूझ रहे हैं
डगमगाती-सी
कश्ती लिए !

तंज करेगी
क्या ये दुनिया
किस बात पर
और किसलिए !

विछोह के ऐसे
दंश हमने
उसकी खातिर
ही लिए !

-सीमा अग्रवाल

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