Thursday, 15 January 2015

जनवरी की सर्द रात

जनवरी की
सर्द रात
मन पर
बर्फ गिरी थी
हर मचलती तरंग
ओले-सी
जमी पड़ी थी
भोर हुई
सूरज भी आया
कई दिनों के बाद
देख उसे
लगता था ऐसा
हो जैसे
ईद का चाँद
फिर उसने जो
आँख दिखाई
रक्तिम क्रोध से उसके
डर भागी
बर्फ दीवारें फाँद
शीत लहर अब
चली है मन में
आँचल उड़े
अरमानों का
नटखट मौसम
चला आया अब
प्यार भरे
वरदानों का ।

-सीमा अग्रवाल

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