धर्म का मर्म जाने बिना करो न उस पर कोई प्रहार धर्म है तो कर्म है,और कर्म से ही तो ये संसार ।
और आस्था स्वधर्म पर माँजती रही सदा संस्कार खिलवाड़ यदि उससे हुआ तो होगा जग में हाहाकार ।
-सीमा अग्रवाल
No comments:
Post a Comment