Monday 25 August 2014

मिट न सकेगी याद तुम्हारी


मिट न सकेगी याद तुम्हारी
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लुटी हर हसरत, ख्वाब मिटे,
लापता हैं, खुशियों सारी ।
सब कुछ खोया इस दिल ने,
बाकी है बस याद तुम्हारी ।

तूफाँ आए, अरमाँ बिखरे,
बिखर गईं उम्मीदें सारी ।
सब कुछ बिखरा इस दिल से,
बची रही पर याद तुम्हारी ।

टूटे सपने औ रूठे अपने,
टूट गई हर आस हमारी ।
सब कुछ टूटा, दिल जो टूटा,
बनी रही पर याद तुम्हारी ।

मिट जाएँ सुख की तहरीरें,
या मिट जाए ये हस्ती मेरी ।
मिट जाए हर आस दिल से,
मिट न सकेगी याद तुम्हारी ।

कितने गम के बादल सिमटें,
सावन बरसें, नयन - घट रीतें ।
पाने को इक झलक तुम्हारी,
खुली रहेंगी पलक हमारी ।

- सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )

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