रक्षाबंधन के अवसर पर कुछ हाइकू----
आजा रे भैया
पल पल निहारूं
राह मैं तेरी ।
राह निहारे
टकटकी लगाए
आस ये जिद्दी ।
सजा आरती
लगा माथे तिलक
मैं बांधूँ राखी ।
वही बनाई
जो पसंद तुम्हें थी
मिठाई मैंने ।
तुम्हें खिला दूँ
जी भरके पहले
तभी मैं खाऊँ ।
धागे स्नेह के,
सजें कलाई पर
भाई तुम्हारी ।
मस्तक तेरा
रहे उन्नत सदा
दिपे चंदा-सा ।
रक्षा कवच
करे रक्षा तुम्हारी
बुरी बला से ।
जहाँ भी रहे
रहे तू सलामत
द्आ ये मागूँ ।
भाग्य बदले
बदले ये दुनिया
तू न बदले ।
उदास न हो
मेरी बहना प्यारी
दूर नहीं मैं ।
सदा साथ हो
बसे तुम दिल में
तन्हा कहाँ मैं ।
साथ तुम्हारे
गुजरे हैं जो पल
भुला न पाऊँ ।
वो गुजरे पल
मधुर थे कितने
मिठास बाकी ।
बिन तेरे तो
सूना घर अंगना
मेरी बहना ।
चलीं आँधियाँ
बिखर गया सुख
आँचल खाली ।
अश्कों के धारे
बह चले आँख से
रोके न रुके ।
पूर्ण खुशी से
भाई चाँद निहारे
बहन भू को ।
-सीमा अग्रवाल
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