सावन आया
कण- कण में भू के
उन्माद छाया ।
बरसे मेघा
मिल एक हो गए
धरा-गगन ।
देखो धरा को
इठला रही कैसे
प्रेम-मगन ।
सजी पहन
हरित परिधान
नार नवेली ।
प्रिय-स्पर्श से
अंग- अंग रोमांच
कंपित धरा ।
आज प्रसन्न
सृष्टि का कण-कण
नाचे छनन ।
सावन आया
ओ पिया परदेसी
तुम न आए !
बरसें नैना
तुम बिन साजन
जैसे सावन ।
बेसुध सी मैं
अपलक नयन
राह निहारूं ।
किया था वादा
आओगे सावन में
तुम न आए !
सावन आया
सखियाँ झूलें झूला
कजरी गाएँ ।
कहती मैया
तरस गए नैना
आ जा अब तो !
आजा बहना
तुझे झुलाऊँ झूला
भाई बुलाए ।
आ न बहना
मिल याद करेंगे
गुजरे पल ।
कैसे मैं आऊँ ?
भाई तू ही बता न
राह न सूझे !
भुला न पाऊँ
यादें बचपन की
प्यार तुम्हारा ।
न हो उदास
छिपा नहीं मुझसे
दर्द ये तेरा ।
खुश रहना
पलकें न भिगोना
कसम तुझे ।
कण- कण में भू के
उन्माद छाया ।
बरसे मेघा
मिल एक हो गए
धरा-गगन ।
देखो धरा को
इठला रही कैसे
प्रेम-मगन ।
सजी पहन
हरित परिधान
नार नवेली ।
प्रिय-स्पर्श से
अंग- अंग रोमांच
कंपित धरा ।
आज प्रसन्न
सृष्टि का कण-कण
नाचे छनन ।
सावन आया
ओ पिया परदेसी
तुम न आए !
बरसें नैना
तुम बिन साजन
जैसे सावन ।
बेसुध सी मैं
अपलक नयन
राह निहारूं ।
किया था वादा
आओगे सावन में
तुम न आए !
सावन आया
सखियाँ झूलें झूला
कजरी गाएँ ।
कहती मैया
तरस गए नैना
आ जा अब तो !
आजा बहना
तुझे झुलाऊँ झूला
भाई बुलाए ।
आ न बहना
मिल याद करेंगे
गुजरे पल ।
कैसे मैं आऊँ ?
भाई तू ही बता न
राह न सूझे !
भुला न पाऊँ
यादें बचपन की
प्यार तुम्हारा ।
न हो उदास
छिपा नहीं मुझसे
दर्द ये तेरा ।
खुश रहना
पलकें न भिगोना
कसम तुझे ।
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