Monday, 31 March 2025

आयी मीठी ईद...

हर्ष मगन मन नाचते,  हुआ चाँद का दीद।
कितने रोज़ों बाद अब,    आयी मीठी ईद।।

अंत सुखद रमजान का, शुरू हुआ शव्वाल।
रोज़ेदारों को खुदा,         कर दे मालामाल।।

अलग-अलग हों धर्म पर, एक सभी का मर्म।
अच्छे हों या हों बुरे,          फलते सारे कर्म।।

कुरान गीता बाइबिल, सार सभी का एक।
धर्म चुनो कोई मगर,  कर्म करो बस नेक।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )

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