Friday 5 September 2014

एक नन्हा फरिश्ता आया

मेरे गमों को गंगा नहलाने
एक नन्हा फरिश्ता आया ।
सोए सब अरमान जगाने
एक नन्हा फरिश्ता आया ।

गठरी गमों की देकर जब
साथी ने तनहा छोड दिया
बोझिल मन का भार उठाने
एक नन्हा फरिश्ता आया ।

आँसुओं का कोष भी जब
बरस बरस कर रीत गया
हँसी के अनगिन लिए खजाने
एक नन्हा फरिश्ता आया ।

कर्कश कटु शब्दों को सुन
जब जीना मेरा दुश्वार हुआ
तुतली बतियों से जी बहलाने
एक नन्हा फरिश्ता आया ।

छिन गया जब रोशन जहां
घिर गया अँधेरा जीवन में
सूने घर में दीप जलाने
एक नन्हा फरिश्ता आया ।

संवारने वाले हाथों ने ही जब
उजाड दिया अपना गुलशन
जीवन-बगिया फिर से महकाने
एक नन्हा फरिश्ता आया ।

कर्मक्षेत्र में जीवन के
जब मै तनहा जूझ रही थी
साथ मेरे मेरा हाथ बँटाने
एक नन्हा फरिश्ता आया ।

सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )

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