आज मैं बन गया नाना जी ।
खुशी से हूं , दीवाना जी ।
नशे में क्या न कर जाऊँ,
कोई मेरे पास न आना जी ।
लगता है, हाथ लगा है मेरे,
कोई अनमोल खजाना जी ।
प्यारा होता ब्याज मूल से,
आज मैंने ये जाना जी ।
आज मैं बन गया नाना जी ।
खुशी से हूं , दीवाना जी ।।
तरस रहे हैं दरस को नैना ,
मोहक छवि दिखाना जी ।
लक्ष्मी भेजी मेरे अंगना ,
रव का शुक्र मनाना जी ।
आज मै बन गया नाना जी ।
खुशी से हूं , दीवाना जी ।
-सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
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