Sunday 14 September 2014

जी करता है ----

जी करता है , जी भर रो लूँ !
अश्कों से अपना, हर गम धो लूँ !

आज मैं तनहा, खाली खाली !
कैसे रात कटे , ये काली !
शायद मन कुछ राहत पाए,
बिखरी यादों के मनके पो लूँ !
          जी करता है , जी भर रो लूँ !

एक तरफ हों सुहानी घडियाँ !
औ दूजे पर अश्कों की लडियाँ !
जीवन-तुला के दो पलडों पर,
सुख-दुख दोनों रखकर तोलूँ !
         जी करता है, जी भर रो लूँ !

किया न उसने मुझपे भरोसा !
प्यार के बदले गम ही परोसा !
अब कैसे उससे बात करूँ मैं ,
हसरत अधूरी मन में ले सो लूँ !
          जी करता है, जी भर रो लूँ !

सोचा न था ये दिन आयेगा !
नन्हा सुख भी छिन जाएगा !
कुदरत की सौगात समझ,
भार गमों का हँस कर ढो लूँ !
         जी करता है जी भर रो लूँ !
         अश्कों से अपना हर गम धो लूँ !

-सीमा अग्रवाल

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