Friday 12 September 2014

पाहुन ! तुम दिल में आए हो---

पाहुन ! तुम दिल में आए हो
रव का दिया वरदान बनकर
मन-मंदिर में बसे हुए हो
आज तुम्ही भगवान बनकर

पहली बार नजर जब आए
चुपके से आ दिल पर छाए
मेरे लवों पर थिरक रहे हो
आज तुम्ही मुस्कान बनकर

ये जग शातिर बडा लुटेरा
डाले रहता हर पल डेरा
इस मंदिर का देतीं पहरा
साँसें मेरी दरबान बनकर

वरना क्या हस्ती थी मेरी
वीरान पडी बस्ती थी मेरी
आईं बहारें मेरे दर तक
कुदरत का फरमान बनकर

अब न मुझसे नजर चुराना
कभी न अपना साथ छुडाना
रह जाएगा बुत ये मेरा
बिन तेरे बेजान बनकर

पाहुन ! तुम दिल में आए हो
रव का दिया वरदान बनकर ।

-सीमा अग्रवाल,
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )

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