Friday 5 September 2014

तेरी शुभ्र धवल मुस्कान---

मेरे गम के तम पर तेरी
शुभ्र धवल मुस्कान
चाँदनी बिखर जाती है
ज्यों अँधेरी रात में ।

स्वप्न सुनहरे आ ह्रदय में
गम के बादल देते चीर
कौंधती है बिजली रह रह
ज्यों मौसम बरसात में ।

अरमाँ चाहत ख्वाब सभी
ढक लेती गम की चादर
छिप जाता माया का वैभव
ज्यों निशा के गात में ।

कह देता हर राज दिल का
आँखों से बरसता पानी
जीवन का रहस्य खुल जाता
ज्यों मुरझाए पात में ।

-सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )

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