Saturday, 5 April 2025

जय जय जय श्री राम....

चैत्र मास की तिथि नवम्, लिया राम अवतार।
कौशल्या की कोख से,    उपजा जग-कर्त्तार।।

सूर्य किरन से देखिए, दीपित राम ललाट।
ले  दर्शन की लालसा, भक्त  जोहते वाट।।

जयकारे प्रभु नाम के, गूँज रहे चहुँ ओर।
अब तक जो उलझे रहे, सुलझ रहे सब छोर।।

श्याम शिला निर्मित वपु,      मोहे छटा अनूप।
बरबस मन वश में करे, प्रभु का बाल स्वरूप।।

जलमय संकुल मेघ सम, श्याम बरन प्रभु राम।
मन पुष्पित-पुलकित करें,  सरस-बरस घनश्याम।।

कंठा कंगन करधनी, केसर कुंकुम भाल।
उर शोभित कौस्तुभमणि, गल वैजंतीमाल।।

शोभित पैजनियाँ छड़ा, पाँव महावर लाल।
स्वर्ण मुकुट मस्तक फबे, कुंडल पदिक कमाल।।

कोटि प्रभाएँ सूर्य की, आभा मंडित रूप।
नैना मादक रसभरे,    भरे सभी मनकूप।।

इच्छाएँ भटकें नहीं, मिले धीरता-दान।
शील वरें सब राम-सा, करें जगत-उत्थान।।

नजर पड़े जिस ओर भी, उसी नजर में राम।
हर बोली हर बोल में,     समा  गए  हैं  राम।।

बिना राम के नाम के, सरे न कोई काम।
जीवन के हर कर्म में,    रमे हुए हैं राम।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
फोटो गूगल से साभार

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