कण-कण व्यापी राम, घट-घट व्यापी राम।
गूँजे चहुँ दिशि नाम, नहीं राम सा नाम।
महाबली श्रीराम, साधें सबके काम।
जप ले मनवा राम, भज ले सीता राम।
बजें नगाड़े ढोल दुंदुभी, मंदिर घंटा नाद करें।
रामभक्ति की रामभक्त मिल, एक नयी बुनियाद धरें।
कथा श्रवण कर हम रघुवर की, राम नाम का जाप करें।
माया के पचड़ों में पड़कर, वक्त न अब बरबाद करें।
सुमिरन जिसके नाम का, साधे सारे काम।
मनके उसके नाम के, फेरूँ सुबहो शाम।।
राम नाम की संपदा, अक्षय सुख-भंडार।
राम नाम के जाप से, सबका बेड़ा पार।।
आओ बेर चुनें नेकी के, आएँगे तब काम।
दर्शन देने हमको भी जब,आएँगे श्री राम।
सत्कर्मों की बाँध पोटली, रक्खें कहीं सँभाल।
अंतिम सफर अकेले करना, यही बनेगी ढाल।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
"मुक्तक माल" से
No comments:
Post a Comment