Saturday, 30 November 2024
मोहे छटा अनूप...
Monday, 25 November 2024
आज जो पीछे हटी तो...
थोथी नींव पर छल छद्म की...
Saturday, 23 November 2024
वर बढ़े जो पथ विनय का...
वर बढ़े जो पथ विनय का...
वर बढ़े जो पथ विनय का,
उस सरल इंसान की जय।
वक्त की परिमल सँजोए,
उस विरल इंसान की जय।
दो दिलों को नाथकर जो,
प्रेम-सुर में ढालता है।
ढाल बन जो सत्य की नित,
खाक खल पर डालता है।
जो तड़पता और के हित,
उस विकल इंसान की जय।
बल बने जो निर्बलों का,
घाव पर मरहम लगाए।
दे निकाला आँसुओं को,
हास के मंडप सजाए।
जो लुटा दे प्राण परहित,
उस सबल इंसान की जय।
पय पिलाए जो तृषित को।
पुष्प कर्दम में खिलाए।
बन सहारा गैर का जो,
आस हर मरती जिलाए।
हर दिखावे से परे जो,
उस असल इंसान की जय।
शीश पर आशीष प्रभु का,
ले बढ़े जो साथ सबका।
प्रेम-बल से जीत कर दिल,
दे झुका जो माथ सबका।
हर हुनर-गुण पास जिसके,
उस कुशल इंसान की जय।
बुद्धि-कौशल से सदा जो,
काम हर आसान करता।
हारते हर आर्त जन के,
हौसलों में जान भरता।
ला रहा नित नव्यता जो,
उस नवल इंसान की जय।
वर बढ़े जो पथ विनय का,
उस सरल इंसान की जय।
© डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ. प्र. )
साझा संग्रह 'साहित्य सुमन' से
Tuesday, 19 November 2024
जीना है तो सीख ले...
जीना है तो सीख ले, दुनिया की हर रीत।
दुनिया की रौ में चले, मिले उसे ही जीत।।१।।
जीना है तो सीख ले, सुख-दुख में गठजोड़।
जीवन की हर दौड़ में, आते कितने मोड़।।२।।
जीना है तो सीख ले, जीवन की हर तोल।
किससे लेना सूद है, किसे चुकाना मोल।।३।।
जीना है तो सीख ले, जग का सा व्यवहार।
हाँ में सबकी हाँ करे, उसका बेड़ा पार।।४।।
जीना है तो सीख ले, ढोना अपना भार।
पर पर जो निर्भर रहे, उस नर को धिक्कार।।५।।
जीना है तो सीख ले, करना सबसे प्यार।
प्यार करे दुनिया सधे, वरना मारामार।।६।।
जीना है तो सीख ले, गुनना तीनों काल।
आयी मुश्किल सामने, भाँप सके तत्काल।।७।।
जीना है तो सीख ले, चखना सारे स्वाद।
कब जीवन का अंत हो, क्या हो उसके बाद।।८।।
जीना है तो सीख ले, रखना जग से मेल।
किस्मत की हर मार को, खेल समझकर झेल।।९।।
जीना है तो सीख ले, आड़ी-सीधी चाल।
कब जीवन में क्या मिले, क्या हो आगे हाल।।१०।।
जीना है तो सीख ले, करना सबका मान।
जो औरों को मान दे, पाता है सम्मान।।११।।
जीना है तो सीख ले, करना झटपट काम।
सही समय हर काम कर, फिर डटकर आराम।।१२।।
जीना है तो सीख ले, लड़नी जीवन-जंग।
अपनी पारी खेलकर, देख जगत के रंग।।१३।।
जीना है तो सीख ले, रहना हद में यार।
हदें लाँघकर जो बढ़े, निश्चित उसकी हार।।१४।।
जीना है तो सीख ले, रखना सही हिसाब।
अंत समय में कर्म की, जाती संग किताब।।१५।।
© डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
Saturday, 16 November 2024
हक मुनासिब माँगती हूँ...
खोल भी दो अब अधर द्वय....
Friday, 15 November 2024
देव दीपावली की समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं
छिटकी नभ में चाँदनी, कातिक पूनम रात।
काशी के गलियार में, झिलमिल दीपक-पाँत।।०१।।
देव दिवाली आज है, कातिक पूनम रात।
करते भू पर देवता, अमरित की बरसात।।०२।।
देता सुर को त्रास था, करता पाप अनंत।
त्रिपुरारि कहलाए शिव, किया दुष्ट का अंत।।०३।।
भव्य कलेवर में दिपे, काशी नगरी आज।
देव मुदित आशीष दें,गदगद संत समाज।।०४।।
त्रिपुरासुर का अंत कर, दिया इंद्र को राज।
आज मुदित मन झूमता, सारा देव समाज।।०५।।
पावन गंगा नीर में, कर कातिक स्नान।
देव दिवाली देवता, करें दीप का दान।।०६।।
छाई है अद्भुत छटा, दमक रहे सब घाट।
देव दरस की लालसा, जोहें रह-रह बाट।।०७।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
फोटो गूगल से साभार
Saturday, 9 November 2024
दिल में दीप जलाने वाले...
दिल में दीप जलाने वाले...
दिल में दीप जलाने वाले,
मीत कहाँ ? अब आ भी जाओ।
बहुत अँधेरा है जीवन में,
भटक रही हूँ, राह दिखाओ।
तुम बिन सूनी दिल की नगरी।
रीत रही है यौवन-गगरी।
दिन-दिन शिथिल हो रही काया,
कहते कहने वाले 'ठठरी'।
मृत में प्राण फूँकने वाले,
मरती इच्छा आन जिलाओ।
जिया नहीं जाता अब तुम बिन।
भार लगे तन पल-पल छिन-छिन।
चकरी सी डोलूँ बस इत-उत,
वक्त कटे कैसे दिन गिन-गिन ?
मन-नभ तक घिर आयी बदली,
बन बिजुरी पिय कौंध दिखाओ।
फेर लिया तुमने मुख अपना।
लिखा भाग्य में बस दुख जपना।
रमे विदेसहिं छोड़ मुझे प्रिय,
टूट गया मेरा हर सपना।
तम में धूप खिलाने वाले,
आस-किरन बनकर आ जाओ।
दिल में दीप जलाने वाले,
मीत कहाँ ? अब आ भी जाओ।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )