ये मौहब्बत ही तो है, जो धड़कती है आज भी सीने में वरना सांसें तो हमारी भी कब की थम गयी होतीं !
"अर्थ मौहब्बत का- बस देते जाना" कहा था उसने बस इसीलिए हमने पलटकर कभी कोई चाह न की !
- सीमा
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