सिर्फ कल्पना से मन कब तक बहले !
कभी पास हों तो, मन मन की कह ले !!
मिले रात को जो बाँहों का हार तुम्हारी !
दिन भर हर थकन मन हँसकर सह ले !!
तुम्हें सुला प्यार से खुद भी सो जाऊं !
जब जागूं तो देखूं तुम्हें मैं सबसे पहले !!
दिल की धड़कन, सांसों का स्पंदन तुम
तुम बिन जान कहो तन में कैसे रह ले !!
पाहुन आ पहुँचा है 'सीमा' दर पे तेरे !
अश्क पोंछ ले प्रेम- समन्दर में बह ले !!
- सीमा
No comments:
Post a Comment