मन कर रहा आज ये मेरा
मैं तुम पर कोई गीत लिखूँ
तुम ही बता दो, नाम तुम्हारा
चितचोर लिखूँ, मनमीत लिखूँ !
कैसा व्यापार लगाया मैंने
क्या खोया क्या पाया मैंने
जान सके न मन ये बाबरा
हार लिखूँ या जीत लिखूँ !
प्यार से अपने मुझे सँवारा
बदल दी मेरी जीवन- धारा
है रोम- रोम स्पन्दित जिससे
वो जीवन का संगीत लिखूँ !
जब से तुम जीवन में आए
मन ने कितने ख्वाब सजाए
कितनी अनोखी, कितनी प्यारी
तुम संग अपनी प्रीत लिखूँ !
कभी क्रोध में गरजे मुझ पर
कभी अभ्र से बरसे मुझ पर
समझ ना आए तासीर तुम्हारी
उष्ण लिखूँ या शीत लिखूँ !
मन कर रहा आज ये मेरा
मैं तुम पर कोई गीत लिखूँ !
तुम ही बता दो, नाम तुम्हारा
चितचोर लिखूँ, मनमीत लिखूँ !
-सीमा
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