रिदय के कोरे पृष्ठों पर आज मैं
मन की अपने हर बात लिख दूँ
लिख दूँ खुद को जनम की प्यासी
तुमको रिमझिम बरसात लिख दूँ
रह- रह जो बनते- बिगड़ते मन में
चुन- चुन वो सारे जज्बात लिख दूँ
लिख दूँ तुम्हें मैं विभा शशधर की
खुद को चकोरी साँवल गात लिख दूँ
लिख दूँ तुम्हें मैं चितचोर कन्हैया
खुद को ग्वालन एक अज्ञात लिख दूँ
लिख दूँ तुम्हें अरुणिमा दिनकर की
खुद को विकसता जलजात लिख दूँ
मैं तो सीमा- बद्ध क्षणिक एक बंधन
तुम्हें अखिल विश्व में व्याप्त लिख दूँ
- सीमा
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