समय के स्वर्णिम पृष्ठों पर
होगा मेरा भी नाम देखना !
पलकों पर मुझे बिठा लेगी
आएगी ऐसी शाम देखना !
रिहा होंगी सब कैद राहें
खुलेगा रस्ता आम देखना !
मूल्यहीन जो आँके जाते
बढ़ेगा उनका दाम देखना !
औरों पर दोष लगाने वाला
होगा खुद ही बदनाम देखना !
अब न हम भी चुप बैठेंगे
छिड़ेगा महासंग्राम देखना !
अन्याय का अनुयायी भी
जपेगा एक दिन राम देखना !
जनम जनम की प्यास बुझेगी
छलकेगा ऐसा जाम देखना !
तुम भी अपना काम अब देखो
मुझे भी अपना काम देखना !
-सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
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