Monday 1 December 2014

तब दर्द तो दिल को होता है ----

झूठ के जब पाँव पसरते
सच एक कोने में रोता है ।
गम खाने वाला, रात को
आँसू पीकर जब सोता है ।
         तब दर्द तो दिल को होता है !

बेपरवाह दायित्व से कोई
नींद चैन की सोता है ।
अनगिन फर्जों को लादे कोई
बोझ से दोहरा होता है ।
         तब दर्द तो दिल को होता है !

जी हुजूरी करने वाला
सीढ़ी चढ़ता जाता है ।
आदर्शों पर चलने वाला
नीचे खड़ा रह जाता है ।
         तब दर्द तो दिल को होता है !

सुख - दुख का साथी जब
दुख में न साथ निभाता है ।
सुख सपना बनकर जब
खिसक हाथ से जाता है ।
         तब दर्द तो दिल को होता है !

- सीमा अग्रवाल

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