Wednesday 8 October 2014

किस्मत इतनी खोटी क्यों है !

किस्मत इतनी खोटी क्यों है !
हर खुशी इतनी छोटी क्यों है !
काँधे पर इस नाजुक दिल के,
गठरी गम की मोटी क्यों है !!

की ही नहीं जो मैंने गलती ,
उसकी सजा जब मुझको मिलती ।
करुण व्यथा मेरे अंतर की ,
आँसू बन आँखों से ढलती !!

मेरी हर मुस्कान रव ने,
पलक-पानी संग घोटी क्यों है !!
किस्मत इतनी खोटी क्यों है !
हर खुशी इतनी छोटी क्यों है !!

इस हँसते चेहरे के पीछे,
दर्द की गहरी पर्त जमी है !
जान किसकी आस में अब तक,
जीवन की ये डोर थमी है !!

जब भी चले खेल नसीब का ,
पिटती मेरी गोटी क्यों है !!
किस्मत इतनी खोटी क्यों है
हर खुशी इतनी छोटी क्यों है !!

--सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश )

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