Wednesday 8 October 2014

की जब मैंने दुख से प्रीत-----

कल क्या होगा
इस चिंता में,
रात गई
आंखों में बीत ।

ओठों पर
आने से पहले
सुख का प्याला
गया रीत ।

आशाओं का
दीप जला, ढूँढा,
न मिला
जीवन-संगीत ।

किस्मत भी जब
हुई पराई ,
फूट पड़ा
अधरों से गीत ।

साथी सुख, तनहा
छोड गया जब,
दर्द मिला बन,
मन का मीत ।

हर सुख से,
खुद को ऊपर पाया,
की जब मैंने,
दुख से प्रीत ।

-सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )

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