मेरी वफाओं का उसने,
क्या खूब मुझे ईनाम दिया !
पढ़े बिना ही दिल मेरा,
'बेवफा' मुझे ये नाम दिया !
खुदा मानकर जिसको मैंने,
खुद को ही था भुला दिया !
खुदगर्जी का आज उसी ने,
मुझको बड़ा इल्जाम दिया !
प्यार न देना था न देता,
पर कुछ तो रहम करता !
क्यों रुसवाई का मेरे हवाले,
उसने कड़वा जाम किया !
माना, मैं वो समझ न पाई,
जो समझाना चाहा उसने !
पर उसने भी न समझ मुझे,
कौन बड़ा कोई काम किया !
कह लेता मुझे वो कुछ भी,
सब सह लेती मैं हँस कर !
पर उसने तो सरे बाजार,
बैठ मुझे बदनाम किया !
मेरी वफाओं का उसने,
क्या खूब मुझे ईनाम दिया !
-सीमा अग्रवाल
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