जानती हूँ आ रहा है, अब निकट अवसान मेरा।
देखती हूँ आँख भर कर, छूटता दालान मेरा।
सोच-चिंता-त्रास-तड़पन, साथ जो मेरे रहे हैं,
ले चलूँगी साथ सबको, बाँध दो सामान मेरा।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
था नहीं आसान मुझको,
लिख रही जो गीत लिखना।
सीख पायी हूँ तुम्ही से,
हार पर भी जीत लिखना।
'ये उदासी के अँधेरे,
कुछ पलों में दूर होंगे।
जो करें अपमान तेरा,
मान उनके चूर होंगे।'
थाम कर तुमने सिखाया,
युद्ध को संगीत लिखना।
'खामियाँ हैं हर किसी में,
कौन है संपूर्ण जग में।'
तुम सदा ही सीख देते,
क्या रखा है दुश्मनी में।
थे तुम्ही जिसने सिखाया,
शत्रु को भी मीत लिखना।
© सीमा अग्रवाल
"गीत सौंधे जिंदगी के" से