सुन तुम्हारे दिल की धडकन,
सांस चलती थी मेरी !
तुम पर कोई आँच आए,
जां निकलती थी मेरी !
जी रही हूँ कैसे तुम बिन ,
हैरान हूँ ये देखकर,
पहले तो पहलू में तुम्हारे,
साँझ ढलती थी मेरी !
रब ही जाने कैसे तुम बिन जिंदगी चलती मेरी ! गुमनामियों के साए में उम्र यूँ ही ढलती मेरी !
- सीमा अग्रवाल
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