राम का अवतार होगा...
दूर हर अँधियार होगा।
फिर सुखद संसार होगा।
झेलते सब दंश उसका।
बढ़ रहा है वंश उसका।
कलयुगी इस काल में भी,
रह गया कुछ अंश उसका।
फिर मरेगा जल्द रावण,
राम का अवतार होगा।
हर खुशी निर्बाध होगी।
पूर्ण मन की साध होगी।
भूलवश गलती किसी से,
हुई यदि एकाध होगी।
शोध सारी खामियों को,
मूल से निस्तार होगा।
अब न इच्छा रुष्ट होगी।
कामना संतुष्ट होगी।
एकता का भाव होगा,
भावना संपुष्ट होगी।
फिर मनों से मन मिलेंगे,
जुड़ रहा हर तार होगा।
सुन जरा वैदिक ऋचाएँ।
गूँजती हैं दस दिशाएँ।
भोर तम को चीर बढ़ती,
लड़खड़ाती-सी निशाएँ।
उदित होगा बाल रवि फिर,
फिर तमस संहार होगा।
छल छद्म सब दूर होंगे।
दर्प सबके चूर होंगे।
गौरवान्वित सत्यवादी,
मान से भरपूर होंगे।
झूठ का परदा गिरेगा,
सत्य का दरबार होगा।
बिक रही हैं भावनाएँ।
चीरतीं मुख वासनाएँ।
लोभ के चंगुल फँसी जो,
हो हताहत कामनाएँ।
पा परस पगधूलि पावन,
शीघ्र ही उद्धार होगा।
राम फिर राजा बनेंगे।
कष्ट सबके ही हरेंगे।
बात होगी गर चयन की,
राज्य को पहले वरेंगे।
एक सबका न्याय होगा,
सत्य ही आधार होगा।
राम का अवतार होगा।
फिर सुखद संसार होगा।
© डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )
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