Friday, 19 January 2024

शुभागमन हो राम का...

शुभागमन हो राम का ...

जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
नरता के मानक गढ़े,     नमन तुम्हें नर श्रेष्ठ।।१।।

जीवन के हर क्षेत्र में,  बढ़े निडर अविराम।
ज्ञान-भक्ति अरु कर्ममय, कर्मठ योद्धा राम।।२।।

राम सरिस हो आचरण, राम सरिस हो त्याग।
मिटें तामसी वृत्तियाँ,      जागें जग के भाग।।३।।

दर्प चूर आतंक का, किया खलों का अंत।
देख राम की वीरता,      गद्गद साधू-संत।।४।।

जप ले मनके नाम के,    मेटें मन के ताप।
राम-नाम के जाप से, धुल जाते सब पाप।।५।।

कुटी बना तिरपाल में, जिया पुनः वनवास।
लौट अवध अब आ रहे, कण-कण में उल्लास।।६।।

शुभ फलदायक हो घड़ी, मंगलमय हों काज।
आए फिर से देश में,     राम लला का राज।।७।।

खोया वैभव सूदमय, मिला अवध को आज।
युगों-युगों तक अब चले, रामलला का राज।।८।

लौट अवध प्रभु आ रहे, खुशियाँ अपरंपार।
नाचें-थिरकें रसमगन, हर्षित नर अरु नार।।९।।

सिंहासन आरूढ़ हो,  करें लला फिर राज।
समता से शासन चले, समरस बने समाज।।१०।।

कितनी गहरी आस्था,  कितना श्रद्धा भाव।
भीड़ उमड़ती आ रही, राम-दरश का चाव।।११।।

लला गृह की ओर चले, आई सुहानी भोर।
बजें नगाड़े दुंदुभी,     गुंजित नभ के छोर।।१२।।

प्राण प्रतिष्ठा राम की,        पावन मंत्रोच्चार।
लला आज घर आ रहे, चहुँ दिशि जयजयकार।।१३।।

भव्य कलेवर में दिपे,  नगरी प्रभु की आज।
देव मुदित आशीष दें,  गद्गद संत समाज।।१४।।

पलक-पाँवड़े मग बिछा, खड़ा सज्ज हो द्वार।
रामदरश की कामना,    करता हर परिवार।।१५।।

शुभागमन हो राम का,  शुभ हों ग्रह-नक्षत्र।
संधि-शांति-सौहार्दमय, हों आगे सब सत्र।।१६।।

© डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )
फोटो गूगल से साभार

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