सजी कैसी अवध नगरी, सुसंगत दीप पाँतें हैं।गगनचुंबी इमारत हैं, तनी अद्भुत कनातें हैं।बड़ी शुभदा घड़ी पावन, विराजें राम आसन पर,पखारें पाँव प्रभुवर के, भरी जल की पराँतें हैं।© सीमा अग्रवालमुरादाबाद
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