जरा-जरा...
खुशियाँ तनिक मिल जाएँ मुझे भी, हँस लूँगी जरा-जरा
हौले से भर आँचल में उनको, नच लूँगी जरा-जरा
आओगे जब-जब याद मुझे तुम कर लूँगी बंद आँखें
मन-मंदिर में छवि आँक तुम्हारी, मचलूँगी जरा-जरा
सामने रह नज़रों में मेरी बनो आईना मेरा
बैठ के पलकन-तले तुम्हारी, सज लूँगी जरा-जरा
धवलचंद्रिका यशकी तुम्हारे आए जो छनके मुझतक
चाँद के संग धूमिल तारे-सी, चमकूँगी जरा-जरा
नेह-सनी जब बातें होंगी सुखद-सुहानी रातें होंगी
देखना तब-तब दिल में तुम्हारे, धड़कूँगी जरा-जरा
रहो अगर तुम सामने मेरे मिट जाएँ सब तम के घेरे
नगमे कुछ मादक मधुर रसीले, रच लूँगी जरा-जरा
- ©® सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
'मनके मेरे मन के' से
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