Sunday 29 November 2020

जरा-जरा...

जरा-जरा...

खुशियाँ तनिक मिल जाएँ मुझे भी, हँस लूँगी जरा-जरा
हौले से  भर आँचल में  उनको,  नच लूँगी  जरा-जरा

आओगे जब-जब याद मुझे तुम कर लूँगी बंद आँखें
मन-मंदिर में छवि आँक तुम्हारी, मचलूँगी जरा-जरा

सामने   रह  नज़रों   में   मेरी   बनो   आईना   मेरा
बैठ के  पलकन-तले  तुम्हारी,  सज  लूँगी जरा-जरा

धवलचंद्रिका यशकी तुम्हारे आए जो छनके मुझतक
चाँद  के  संग  धूमिल  तारे-सी,  चमकूँगी  जरा-जरा 

नेह-सनी  जब  बातें होंगी  सुखद-सुहानी  रातें होंगी
देखना  तब-तब  दिल में तुम्हारे,  धड़कूँगी जरा-जरा

रहो अगर तुम  सामने मेरे  मिट जाएँ सब तम के घेरे
नगमे  कुछ मादक मधुर रसीले,  रच लूँगी  जरा-जरा
- ©® सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
'मनके मेरे मन के' से

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