Tuesday 19 July 2016

उसको देखे बीते अरसे ---

अंखियाँ बरसें
सावन बरसे
फिर भी मनवा
प्यासा तरसे

नेह बरसता
आँगन जिसके
लौटे प्यासे
उसके दर से

याद सताए
वो ना आए
बिंध गया मन
मनसिज शर से

कैसे कह दूँ
मन की अपने
काँपूं थर- थर
जग के डर से

जाने कैसी
चली पुरवाई
खिसक गया सुख
मेरे कर से

रह ना पाते
इक पल जिस बिन
उसको देखे
बीते अरसे

- सीमा

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