तुम यूँ इतने उदास ना हो
हारो न मन, निराश ना हो
खुश रहो के दुखते पलों में
गम का तुम्हें आभास ना हो !
माना के साँझ घिर आई है
मन पर अंधियारी छाई है
आस का चाँद बिगसा रहे
तम का जरा अहसास ना हो !
छँट जाएगी जल्द अंधेरी घिरी
आएगी भोर खुशियों से भरी
इसी नियम से तो जग चलता
फिर क्यूंकर तुम्हें विश्वास ना हो !
पल एक ना पल भर रुक पाता
पलक झपकते ही तो चुक जाता
हर पल नियति नया कुछ देती
वरना जीवन इतना बिंदास ना हो !
- सीमा
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