मैं खाक में हूँ खुशियाँ फलक पे छूना चाहूँ भी तो कैसे पंख नहीं, कोई पहुंच नहीं !
क्योंकर हो पूरी चाहत मेरे मन की वह चाहता वही है जिस पर मेरा इख्तियार नहीं ! - सीमा
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