मोहक छवि दिखा जाना
मेरे चाँद जरा आ जाना !
अपलक तेरी राह तकी
आँखें कैसी थकी थकी
कर स्पर्श शीत करों से
सारी तपन मिटा जाना !
मेरे चाँद जरा आ जाना !
तुम तो हो स्नेह के सागर
रीती अब तक मेरी गागर
तरस तुम्हें गर आए जरा
कुछ बूंदें छलका जाना !
मेरे चाँद जरा आ जाना !
अंतिम प्रहर रात का आया
पर तू कहीं नजर न आया
इन उनींदी आँखों को मेरी
थपकी देकर सुला जाना !
मेरे चाँद जरा आ जाना !
यूँ ही बैठे राह में तेरी
झपने लगें जो अँखियाँ मेरी
चंद्रिका की धवल ओढ़नी
आहिस्ता मुझे उढ़ा जाना
मेरे चाँद जरा आ जाना !
मोहक छवि दिखा जाना
मेरे चाँद जरा आ जाना !
~ सीमा
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