Saturday 19 September 2015

मेरी प्यासी, सूनी अंखियों में

मेरी प्यासी सूनी अंखियों में
तुम बनके सपना छा जाना !
अलसाई सी मुंदती पलकों में
तुम बनके प्राण समा जाना !

कितना तरसते कान ये मेरे
मीठे बोल तुम्हारे सुनने को !
अधरों को कानों तक लाकर
कोई गीत मधुर सा गा जाना !

लगता नहीं मन बिना तुम्हारे
बेचैन- सा हर पल रहता है !
तनहा सुबकते अरमानों को
तुम देके थपकी सुला जाना !

मैं निहारूंगी राह तुम्हारी
तुम चुपके- चुपके आ जाना !
पंथ बुहारती अंखियों को
मनमोहक छवि दिखा जाना !

काँधे पे तुम्हारे चिबुक टिका
जब मैं तुम में खो जाऊंगी !
प्यार से लगा सीने से अपने
तनमन की थकन मिटा जाना !

बाँह थाम मेरी, ले साथ अपने
सतरंगी जहां दिखा लाना !
यूँ मेरे नीरस जीवन में तुम
प्रेम की नदिया बहा जाना !
         

                       --- सीमा---

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