असीम आकाश
Wednesday 12 August 2015
एक चकोर चाँद से मिलने चला भाग्यलिपि अपनी बदलने चला ! चुभे पग में इतने कंटक, प्रस्तर ठोकर लगी, जमीं पर आन गिरा ! --- सीमा ---
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment