सावन- भादो चले गए, गए गगन से बादल ! पर दो पलकों पर अब भी छाए गहन हैं बादल ! बरसती आँखें अहर्निश, छाया रहतासघनअंधेरा क्या जानूँ कब जायेंगे इन अँखियन से बादल ! - सीमा
No comments:
Post a Comment