Monday 20 July 2015

जब जब कोशिश करती हूँ -----

जब जब कोशिश करती हूँ उसे भुलाने की !
तब और मचल उठती है तमन्ना, पाने की !

निष्ठुर सनम क्या कदर प्यार की जाने
लिये बैठा है वो तो कसम, ना आने की !

दिल का गम आँखों से सावन बन बरसेगा
जगह मिली बादल को इन पलकों पर छाने की !

एक ना एक दिन तो दिल उसका पिघलेगा
पूरी कर ले चाह वो अपनी, सितम ढाने की !

यूँ ही कैसे आए हँसी लबों पर बोलो
कोई तो वजह हो आखिर, मुस्कुराने की !

ऐसे खफा हुआ कि मुड़ के ना देखा पीछे
नाकाम रही हर कोशिश, उसे मनाने की !

                       --- सीमा ---

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