आते हैं सनम जो यादों में
तनहा रातों में,बरसातों में
तुमसे तो कहीं अच्छे हैं वे
सिर्फ एक नहीं, कई बातों में !
तुम रहते जुदा, वो जुदा नहीं
कुछ सामने उनके खुदा नहीं
पाबंदी है तुम पर जमाने की
कब आने की, कब जाने की
स्नेह-डोर से बँधे वो आते
तुम मिलते जैसे-खैरातों में !
तुम राज छिपाते पर वो नहीं
तुम दिल को दुखाते पर वो नहीं
एतबार को हमारे ठोकर लगा,
तुम हमें ही झुकाते पर वो नहीं
तुम रंग उड़ा जाते चेहरे का
वो भर देते रंग जज्बातों में !
तुम हो हकीकत वो हैं छाया
पर मैंने प्यार उन्ही से पाया
मेरे इस जख्मी दिल को जिंदा
रखे हुए है बस उन्हीं का साया
कैसे ना वारी जाऊँ मैं उन पर
साथ निभाते नाजुक हालातों में !
जख्म मिला तो तुमसे करते हैं
पर मरहम वो लगाया करते हैं
सूरत तो एक है पर सीरत का
कितना अंतर है देखो दोनों में
तुम टुकड़े दिल के करते हो
वो दुखड़े हर लेते बातों में !
तुम नजरों से रहते हो दूर
पर वो रहते दिल में भरपूर
खबर तुम्हें क्या हाल हमारा
वो जानें सब संसार हमारा
एक वो ही तो भीगा करते हैं
मेरे अश्कों की बरसातों में !
युग बीत गए तुम्हें देखे बिन
वो जुदा हुए न इक पल छिन
आस में तुम्हारी बीती उमर
पा उन्हें हुआ ये प्यार अमर
मैं नाचती झूमती हँसती गाती
उन संग यादों की बारातों में !
-सीमा अग्रवाल
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