Wednesday 19 August 2020

सावन बीता...

सावन      बीता
आस  न   बीती
ढुलक पलक से
बदली      रीती

हद   से   प्यारा
मीत      हमारा
बातें     उसकी
थीं     मनचीती

बैठी     उन्मना
भोली   जोगन
फटे  बसन  ले
कथरी    सीती

होश  न अपना
सुध  न तन की
बंजर  आस ले
मर - मर जीती

प्रेम - पंथ - पग
रखा सँभलकर
हारी  फिर  भी
कभी न  जीती

क्षुधित  तन  है
प्यासा  मन  है
गम  खा  लेती
आँसू      पीती

तन की मन से
मन की तन से
होती    हरदम
तुक्काफजीती

- सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

No comments:

Post a Comment